1. DBMS का आर्किटेक्चर (Architecture of DBMS)
DBMS (डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली) का आर्किटेक्चर डेटाबेस को संरचित और व्यवस्थित रूप से रखने के लिए विभिन्न स्तरों पर काम करता है। इसे सामान्य रूप से तीन स्तरों में विभाजित किया जाता है:
इंटरनल स्तर (Internal Level):
यह स्तर डेटा के भंडारण की प्रक्रिया और डेटा के भौतिक संगठन से संबंधित होता है। इसमें डेटा को कैसे संग्रहीत किया जाता है, जैसे कि इंडेक्सिंग, पृष्ठ फ़ाइल संरचनाएं, आदि पर विचार किया जाता है।
उदाहरण: डेटा को कैसे फाइलों, पेजों और ब्लॉकों में स्टोर किया जाएगा।
कॉन्सेप्चुअल स्तर (Conceptual Level):
यह स्तर डेटाबेस के सामान्य दृश्य (abstract view) को परिभाषित करता है। इसमें डेटा के तत्वों का एक सामान्य चित्र होता है, जैसे कि टेबल, व्यू, रिलेशनशिप और उनके बीच के लिंक। यह उपयोगकर्ताओं और अन्य स्तरों के लिए सामान्य रूप से उपलब्ध होता है।
उदाहरण: सभी डेटाबेस टेबल और उनके बीच संबंधों को एक सामान्य परिप्रेक्ष्य से देखना।
एक्सटर्नल स्तर (External Level):
यह स्तर उपयोगकर्ताओं द्वारा देखे जाने वाले डेटा की संरचना को दिखाता है। इसका मतलब है कि यह एक उपयोगकर्ता-विशिष्ट दृश्य है, जिससे अलग-अलग उपयोगकर्ताओं को विभिन्न तरीकों से डेटा की जानकारी मिलती है।
उदाहरण: एक बैंक के ग्राहक को केवल उनके खाते से संबंधित जानकारी दिखाना, जबकि एक बैंक कर्मचारी को पूरी शाखा की जानकारी दिखाना।
DBMS का आर्किटेक्चर महत्वपूर्ण क्यों है?
- यह डेटा की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
- भौतिक डेटा और उपयोगकर्ता दृष्टिकोण को अलग करता है।
- सिस्टम को लचीला और स्केलेबल बनाता है।
2. DBMS के लक्ष्य और उद्देश्य (DBMS Goals and Objectives)
DBMS के कई महत्वपूर्ण लक्ष्य होते हैं, जो इसे उच्चतम कार्यक्षमता और दक्षता के साथ डेटा को प्रबंधित करने में मदद करते हैं:
डेटा स्वतंत्रता (Data Independence):
DBMS का एक मुख्य उद्देश्य डेटा की संरचना को इस तरह से डिजाइन करना है कि डेटा के भौतिक भंडारण में बदलाव करने पर उपयोगकर्ता को कोई प्रभाव न पड़े। इसमें:
- फिजिकल डेटा इंडिपेंडेंस: भौतिक स्तर पर डेटा में बदलाव उपयोगकर्ताओं को प्रभावित नहीं करता।
- लॉजिकल डेटा इंडिपेंडेंस: डेटा की लॉजिकल संरचना में बदलाव करने पर भी उपयोगकर्ताओं को प्रभाव नहीं पड़ता।
डेटा अखंडता (Data Integrity):
DBMS डेटा की सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए कार्य करता है। यह सुनिश्चित करता है कि डेटा सही और संगत रहे।
डेटा सुरक्षा (Data Security):
DBMS डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता बनाए रखने के लिए उपयोगकर्ता की पहचान और पहुँच को नियंत्रित करता है।
डेटा पुनर्प्राप्ति (Data Retrieval):
DBMS डेटा की तेज़ और प्रभावी पुनर्प्राप्ति की प्रक्रिया को सुनिश्चित करता है, जिससे उपयोगकर्ता को कुशलतापूर्वक डेटा मिल सके।
डेटा शेयरिंग (Data Sharing):
DBMS विभिन्न उपयोगकर्ताओं के बीच डेटा साझा करने की अनुमति देता है। यह सुनिश्चित करता है कि एक ही डेटा सेट कई उपयोगकर्ताओं के द्वारा उपयोग किया जा सके।
बैकअप और रिकवरी (Backup and Recovery):
DBMS डेटा को सुरक्षित रखने के लिए बैकअप प्रक्रिया और डेटा के खो जाने पर रिकवरी की सुविधाएं प्रदान करता है।
3. DBMS के सभी टर्मिनोलॉजी (DBMS Terminologies)
- डेटाबेस (Database): यह संबंधित डेटा का संग्रह है जिसे DBMS द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
- टेबल (Table): यह डेटाबेस की एक संरचना है जिसमें डेटा पंक्तियों (Rows) और कॉलमों (Columns) के रूप में व्यवस्थित होता है।
- फील्ड (Field): यह टेबल का कॉलम होता है।
- रिकॉर्ड (Record): यह टेबल की एक पंक्ति है, जिसमें सभी कॉलमों के लिए डेटा होता है।
- रिलेशन (Relation): यह एक टेबल को संदर्भित करता है, जिसमें डेटा की व्यवस्थित संरचना होती है।
- प्राइमरी की (Primary Key): यह एक कॉलम या कॉलमों का समूह होता है, जो रिकॉर्ड को अद्वितीय रूप से पहचानता है।
- फॉरेन की (Foreign Key): यह एक कॉलम होता है जो दूसरे टेबल की प्राइमरी की को संदर्भित करता है।
- क्वेरी (Query): यह एक प्रश्न होता है जिसे डेटाबेस से जानकारी प्राप्त करने के लिए DBMS द्वारा निष्पादित किया जाता है।
- इंडेक्स (Index): यह एक डेटा संरचना है जो डेटा के तेज़ खोज के लिए उपयोग की जाती है।
4. E-R डायग्राम (E-R Diagram)
बैंकिंग E-R डायग्राम:
एंटिटी (Entities):
- Customer (ग्राहक)
- Account (खाता)
- Transaction (लेन-देन)
रिलेशनशिप (Relationships):
- Owns (स्वामित्व): ग्राहक का खाता होता है।
- Makes (बनाता है): ग्राहक द्वारा लेन-देन किया जाता है।
यूनिवर्सिटी E-R डायग्राम:
एंटिटी (Entities):
- Student (छात्र)
- Course (कोर्स)
- Department (विभाग)
- Instructor (प्रोफेसर)
रिलेशनशिप (Relationships):
- Enrolls (नामांकन): छात्र एक कोर्स में नामांकित होते हैं।
- Teaches (पढ़ाता है): प्रोफेसर कोर्स पढ़ाते हैं।
- Belongs (संबंधित): प्रत्येक कोर्स एक विभाग से संबंधित होता है।
5. रिलेशनल अल्जेब्रा और रिलेशनल कैलकुलस (Relational Algebra and Relational Calculus)
रिलेशनल अल्जेब्रा (Relational Algebra):
यह एक गणितीय भाषा है जिसका उपयोग रिलेशनल डेटाबेस में विभिन्न प्रकार के ऑपरेशंस को करने के लिए किया जाता है। इसके कुछ प्रमुख ऑपरेशंस हैं:
- Select (σ): एक रिलेशन से डेटा का चयन करना।
- Project (π): एक रिलेशन से कॉलम (फील्ड) का चयन करना।
- Union (∪): दो रिलेशन्स का यूनियन।
- Difference (−): एक रिलेशन से दूसरे का अंतर निकालना।
- Join (⋈): दो रिलेशन्स को जोड़ना।
रिलेशनल कैलकुलस (Relational Calculus):
यह एक वैकल्पिक तरीका है जिससे हम केवल यह बताते हैं कि हमें किस प्रकार का डेटा चाहिए, न कि हम इसे कैसे प्राप्त करेंगे। इसमें:
- Tuple Relational Calculus (TRC): इसमें पंक्तियों (ट्यूपल) के बारे में सवाल पूछे जाते हैं।
- Domain Relational Calculus (DRC): इसमें कॉलमों (डोमेन) के बारे में सवाल पूछे जाते हैं।
6. नॉर्मलाइजेशन (Normalization) समझाएं
नॉर्मलाइजेशन: यह प्रक्रिया है जो डेटाबेस डिज़ाइन में डेटा के पुनरावृत्ति (Redundancy) को कम करने और डेटा की अखंडता (Integrity) को बनाए रखने के लिए की जाती है। इसमें चार सामान्य रूप (Normal Forms) होते हैं:
1NF (First Normal Form):
प्रत्येक कॉलम में केवल एक मान होना चाहिए और प्रत्येक पंक्ति अद्वितीय होनी चाहिए।
2NF (Second Normal Form):
यह 1NF को पूरा करता है, और इसमें सभी गैर-कुंजी कॉलम पूरी तरह से प्राथमिक कुंजी पर निर्भर होते हैं।
3NF (Third Normal Form):
2NF को पूरा करते हुए, प्रत्येक गैर-कुंजी कॉलम केवल प्राथमिक कुंजी पर निर्भर होना चाहिए और अन्य कॉलमों पर निर्भर नहीं होना चाहिए।
BCNF (Boyce-Codd Normal Form):
यह 3NF से भी अधिक कड़ा रूप है और यह सुनिश्चित करता है कि सभी फैसले प्राथमिक कुंजी पर निर्भर हों।
उदाहरण: मान लीजिए कि एक टेबल में छात्र के नाम, पते और उनके कोर्स नाम संग्रहीत हैं। यदि हम कोर्स और छात्र को अलग-अलग टेबल में रखते हैं, तो डेटा में पुनरावृत्ति कम होती है, और नॉर्मलाइजेशन लागू होता है।
Comments
Post a Comment